जिनके दम से रोशनाई है...........
जिनसे बरसों की शनाशाई है......
जिनकी खातिर सुखनवराई है....
जिनकी सौगात ये तन्हाई है .....

संजय महापात्र "काफिर"

सोमवार, 5 सितंबर 2011

ये दम किसमें है


तुझसा अंदाज-ए-बयाँ, ये दम किसमें है
तेरी बज्म से उठ जायें
, ये दम किसमें है

तुमने कुछ कहकर मेरी आबरू रख ली
तुझसे फरियाद करें, ये दम किसमें है

दुनिया दीवानो को पागल करार देती है
खुद ही आशियाँ जलायें, ये दम किसमें है

पड़ा था कब्र पर फिर भी आँखे खुली रही
“काफिर” जैसी हसरतें, ये दम किसमें है

2 टिप्‍पणियां:

  1. तुमने कुछ कहकर मेरी आबरू रख ली
    तुझसे फरियाद करें, ये दम किसमें है

    बहुत खूब

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