जिनके दम से रोशनाई है...........
जिनसे बरसों की शनाशाई है......
जिनकी खातिर सुखनवराई है....
जिनकी सौगात ये तन्हाई है .....

संजय महापात्र "काफिर"

रविवार, 17 जुलाई 2011

सोच रहा हूँ

देखा है तुझे जबसे यही सोच रहा हूँ
मर जाऊँ की जी जाऊँ यही सोच रहा हूँ


तू भी मुझे चाहे कभी मेरी ही तरह से

मुद्दत से बस एक बात यही सोच रहा हूँ


मेरी वफा पे तुझको ऐतबार हो जाए
दिल क्या रंग करूँ यही सोच रहा हूँ


होंठों पे हसीं की बात बहुत दूर है शाकी
गम से निजात पा जाऊँ यही सोच रहा हूँ


उँगली को हिलाता है हवाओं में मेरी तरह
“काफिर” भी पड़ा इश्क में यही सोच रहा हूँ

6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह आपकी शायरी लाजबाब है आप राजनीती लेख भी लिखे तो अच्छा होगा

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  3. wah bahut sunder shariyon se bhari gajal.badhaai aapko.happy friendship day.

    / ब्लोगर्स मीट वीकली (३) में सभी ब्लोगर्स को एक ही मंच पर जोड़ने का प्रयास किया गया है / आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/ हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ कोब्लॉगर्स मीट वीकली (3) Happy Friendship Day में आप आमंत्रित हैं /

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