जिनके दम से रोशनाई है...........
जिनसे बरसों की शनाशाई है......
जिनकी खातिर सुखनवराई है....
जिनकी सौगात ये तन्हाई है .....

संजय महापात्र "काफिर"

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

तो कुछ बात बने

जाम के साथ गर शाम हो तो कुछ बात बने
सादा पानी भी तेरे हाथ हो तो कुछ बात बने


रंज ही रंज हर सिम्त ये कैसा आलम-ए-जहाँ
हो तबस्सुम सभी लब पे तो कुछ बात बने


है अमीरी से नियामत तो यह कमाल सिक्कों का
हो फकीरी में भी गर शाह तो कुछ बात बने


हुश्न के दम पे गिराते हैं बर्क-ए-बर्नाई
सादगी से हो इक कयामत तो कुछ बात बने


तू कभी अँगड़ाई ले और हाथों को मेहराब करे
“काफिर” फिर करे सजदा तो कुछ बात बने

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